29 September Current Affairs

Daily Current Affairs :-
29 September 2016(Thursday)
1.सार्क (SAARC) सम्मलेन रद्द :-
सार्क के मंच पर पाकिस्तान पूरी तरह पस्त पड़ गया है। भारत के साथ ही अफगानिस्तान, भूटान और बांग्लादेश के बहिष्कार के बाद लगभग तय हो गया है कि नवंबर में इस्लामाबाद में प्रस्तावित दक्षेस शिखर सम्मेलन अब नहीं होगा। सार्क का मौजूदा अध्यक्ष नेपाल जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा करने वाला है। पाकिस्तान ने भी मान लिया है कि नौ और 10 नवंबर को होने वाला सार्क शिखर सम्मेलन अब संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि किसी भी सदस्य देश के इन्कार करने के बाद शिखर सम्मेलन नहीं हो सकता है। हालांकि, भारत इस कोशिश में है कि इस्लामाबाद बैठक रद होने के साथ ही सार्क प्रमुखों की अगली बैठक कहां हो, यह भी तय हो जाए। भारत किसी दूसरे देश में भी बैठक आयोजित करवाने के विकल्प पर विचार कर रहा है। नेपाली मीडिया ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि जल्द ही सार्क बैठक रद होने की घोषणा कर दी जाएगी। नेपाल के विदेश मंत्री और सार्क के महासचिव अभी देश से बाहर हैं। उनके काठमांडू लौटने पर इस संबंध में एलान कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान अपने ही पड़ोसी देशों के बीच अछी तरह घिर गया है। भारत के अलावा बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान ने उस पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया है। बांग्लादेश ने सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को भेजे गए पत्र में लिखा है, ‘एक देश की तरफ से हमारे आंतरिक मामले में हो रहे हस्तक्षेप से ऐसा माहौल बन गया है कि इस्लामाबाद में सार्क की अगली शिखर बैठक का सफल आयोजन नहीं हो पाएगा। ऐसे में बांग्लादेश प्रस्तावित सार्क बैठक में हिस्सा नहीं लेगा।’ अफगानिस्तान ने लिखा, उस पर थोपे गए आतंकवाद की वजह से ¨हसा और लड़ाई काफी बढ़ गई है। ऐसे में राष्ट्रपति अशरफ घनी पूरी तरह से व्यस्त रहेंगे और वह सम्मेलन में हिस्सा लेने की स्थिति में नहीं रहेंगे। भूटान ने कहा है कि हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकी गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं, उसकी वजह से इस्लामाबाद में 19वें सार्क शिखर सम्मेलन आयोजित करने का माहौल नहीं रह गया है।
• सार्क बैठक का रद होना उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की मुहिम में जुटे भारत को मिली पहली सफलता है।
• सार्क सम्मेलन के जरिये विश्व बिरादरी में अपनी छवि सुधारने की कोशिश में जुटे पाकिस्तान को इससे करारा झटका लगा है।
• पाकिस्तान को अब सफाई देने में काफी दिक्कत होगी। उसके चार पड़ोसी देश उस पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं।
• भारत ने नेपाल को बताया है कि उड़ी हमले के बाद बने माहौल में उसके लिए सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेना नामुमकिन है।
• बांग्लादेश इससे नाराज है कि जमात-ए-इस्लामी के कुछ नेताओं पर युद्ध अपराध के चल रहे मामलों में पाक लगातार हस्तक्षेप कर रहा है।
• अफगानिस्तान पाकिस्तान पर अपने आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और आतंकियों के जरिये सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगा रहा है।
• भूटान का कहना है कि वह क्षेत्र के कुछ अन्य देशों की इस भावना के साथ है कि स्थानीय शांति व सुरक्षा को आतंकवाद से खतरा उत्पन्न हो गया है।

2. ब्रिक्स देशों की श्रम मंत्री स्तरीय दो दिवसीय बैठक : सदस्य देशों ने जताई सतत विकास की प्रतिबद्धता:- विश्व की सर्वाधिक तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन (BRICS) ने वर्ष 2030 तक अपनी विशाल आबादी को गरीबी से निकालने के लिए रोजगार सृजन, सामाजिक सुरक्षा और सतत विकास के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है। ब्रिक्स देशों की श्रम मंत्री स्तरीय दो दिवसीय बैठक के अंत में बुधवार को यहां जारी एक घोषणा पत्र में कहा गया है कि विश्व की लगभग 70 प्रतिशत आबादी इन देशों में निवास करती है और वर्ष 2030 तक इस आबादी को गरीबी से निकालने के लिए समग्रता से प्रयास करने की जरूरत है। इसके लिए रोजगार के अवसरों का सृजन, समाज के सभी वगरें को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना और पर्यावरण के अनुकूल सतत विकास जरूरी है।बैठक 27 और 28 सितम्बर को आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने की। बैठक के बाद जारी किए घोषणा पत्र को इस वर्ष अक्टूबर में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल किया जाएगा। घोषणा पत्र के अनुसार, सभी सदस्य देशों का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण रोजगार सतत विकास के लिए जरूरी है और यह 2030 विकास लक्ष्य के केंद्र में है। समग्र और गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसरों के सृजन के लिए सभी देश एकजुटता से प्रयास करेंगे जिसमें रोजगार के समान अवसर, उचित मजदूरी और पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध होगी। इससे गरीबी उन्मूलन की दिशा में मदद मिलेगी और सतत विकास का लक्ष्य पूरा होगा। घोषणा पत्र में कहा गया है कि रोजगार के अवसर बढ़ाने और इससे संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए सभी सदस्य देश एक दूसरे से सहयोग करेंगे और रोजगार की सूचना पण्राली को सुदृढ बनाएंगे। ब्रिक्स देशों में अनौपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे श्रम बल को औपचारिक क्षेत्र में लाने को एक बड़ी समस्या के रूप में स्वीकार किया गया और कहा गया कि अनौपचारिक क्षेत्र के श्रम बल को बेहतर आजीविका सुविधाएं और सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सभी देश एक दूसरे के साथ सहयोग करेंगे। औपचारिक क्षेत्र की सुविधाओं का अनौपचारिक क्षेत्र के श्रम बल तक विस्तार किया जाएगा। सभी देशों का मानना है कि इससे श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार होगा और उत्पादकता तथा प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। सभी देशों ने इस पर सहमति जताई कि कौशल विकास और सामाजिक सुरक्षा के दायरे का विस्तार करके अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकते हैं। इससे उन्हें रोजगार सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जा सकती है। सभी देशों ने स्वीकार किया है कि अनौपचारिक क्षेत्र को कम करने के लिए नए प्रयोग किए जाने चाहिए जिससे श्रमिकों और कामगारों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जा सके। ब्रिक्स देशों ने कहा है कि सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर रह रहे लोगों को इसकी पहुंच में लाना जरूरी है। इसमें सरकारें सकारात्मक रूप से योगदान कर सकती है।
3. पेरिस समझौते पर कैबिनेट ने लगाई मुहर:-
सरकार ने जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को भी मंजूरी प्रदान कर दी। भारत अब इस आशय का दस्तावेज गांधी जयंती के दिन संयुक्त राष्ट्र को सौंप देगा। समझौते को मंजूरी का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में लिया गया। पेरिस समझौते को अब तक 61 देश स्वीकार कर चुके हैं। यह समझौता 2020 के बाद लागू होगा। इस समझौते के प्रावधान के अनुसार वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 55 प्रतिशत से अधिक योगदान करने वाले देश अगर इसे स्वीकृति दे देते हैं तो यह लागू हो जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत के समझौते को स्वीकार करने पर इसके प्रभाव में आने का रास्ता साफ हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने पिछले ही हफ्ते पेरिस समझौते को स्वीकार करने की घोषणा की थी।
4. नाइजीरिया में भी दाल पैदा करना चाहता है भारत:- नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहम्मदू बुहारी ने भारत से उद्योग, व्यापार, विज्ञान-तकनीक, ऊर्जा, न्यूक्लियर एनर्जी के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर बल दिया है। उन्होंने अपने देश को अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में भी भारत का सहयोग मांगा है। बुहारी से उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की मुलाकात के दौरान भारत ने भी कई क्षेत्रों में बेहतर तालमेल और निवेश की राह आसान बनाने के अलावा नाइजीरिया में दाल पैदा करने की संभावनाएं टटोली हैं। भारत ने इसके पहले कुछ अन्य अफ्रीकी देशों व खासकर मोजाम्बिक में दाल उगाने की तैयारी की है। नाइजीरिया अफ्रीका में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साङोदार है।
अबुजा में दोनों देशों के नेताओं की भेंट के वक्त भारत-नाइजीरिया के बीच कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति कायम हुई। सहयोग के अलावा दोनों देशों ने आतंकवाद पर लगाम लगाने की जरूरत बताई है। भारतीय उपराष्ट्रपति नाइजीरिया और माली की पांच दिवसीय दौरे पर हैं। बीते दिन अंसारी ने नाइजीरिया- इंडिया बिजनेस फोरम को संबोधित किया था। इसमें उन्होंने कहा कि भारत और नाइजीरिया जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए बुनियादी ढांचे का विकास और ऊर्जा सुरक्षा आपसी सहयोग के दो प्रमुख क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में सहयोग का फायदा दोनों देशों को मिलेगा। कारोबारियों ने उम्मीद जताई है कि उपराष्ट्रपति की नाइजीरिया यात्रा  दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में सहयोग को गति देने में सहायक बनेगी।
नाइजीरिया में भारत से निवेश की व्यापक संभावनाएं देख रहा है। यहां टाटा समूह, भारती एयरटेल, बजाज ऑटो, बिरला सीमेंट, रैनबैक्सी, एस्सार समेत सौ से ज्यादा  भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं। केवल फार्मा सेक्टर में ही 33 भारतीय या भारत से जुड़ी कंपनियां यहां मौजूद हैं। करीब 18 करोड़ आबादी वाले नाइजीरिया में टेलीकॉम सेवा दे रही एयरटेल के तीन करोड़ ग्राहक हैं। नाइजीरिया अफ्रीका का सबसे बड़ा कच्चा  तेल (Crude Oil ) उत्पादक देश है। भारत कुल जरूरत का 12 फीसद क्रूड नाइजीरिया से आयात करता है।
5. सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में विनिवेश की प्रक्रिया प्रारंभ :- केंद्र सरकार ने बुरी तरह घाटे में पहुंच कर बीमार हो चुके सार्वजनिक उपक्रमों (CPSE) को बंद करने और उनमें रणनीतिक विनिवेश की शुरुआत कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत पंप्स एंड कंप्रेसर लिमिटेड में रणनीतिक विनिवेश के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी। इसके अलावा हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (HCL) को बंद करने के लिए 4,777 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।
विनिवेश की प्रक्रिया में सरकार ने बुरी तरह घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की एक सूची तैयार की है। इसके तहत जिन कंपनियों में सुधार की एकदम गुंजाइश नहीं है, उन्हें बंद कर दिया जाएगा। साथ ही सरकार ने ऐसी कंपनियों की सूची भी बनाई है, जिनमें रणनीतिक विनिवेश किया जाना है। रणनीतिक विनिवेश के तहत पीएसयू में सरकार की 50 फीसद तक भागीदारी सीधे निजी निवेशकों को सौंपने का प्रावधान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA ) की बैठक हुई। इसमें भारत पंप्स में सरकारी हिस्सेदारी के एक हिस्से को रणनीतिक भागीदार को सौंपने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई। इलाहाबाद स्थित इस कंपनी के लिए 111.59 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज भी मंजूर किया गया है। इस राशि से अवकाश प्राप्त कर्मचारियों के बकाये (पीएफ और ग्रेयुटी शामिल) का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा कंपनी पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF ) के बकाये का भुगतान भी इस राशि से किया जाना है।
एचसीएल को 4777 करोड़ का पैकेज : कैबिनेटके अन्य फैसले में कैबिनेट ने हिंदुस्तान केबल्स को बंद करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। इसके तहत कंपनी के लिए 4777.05 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज भी मंजूर किया गया है। इससे कर्मचारियो के वेतन का भुगतान किया जा सकेगा और समय से पहले रिटायरमेंट के लिए स्कीम (VRS ) लाई जा सकेगी। इस राशि का इस्तेमाल कंपनी के कर्ज को इक्विटी में तब्दील करने के लिए भी किया जाएगा। सरकारी बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों को 2007 के वेतनमान पर वीआरएस की पेशकश की जाएगी।
कंपनी में बंद है 2003 से उत्पादन : बयान के मुताबिक कंपनी की संपत्तियों की बिक्री सार्वजनिक उपक्रम विभाग (DPE ) के दिशानिर्देशों के मुताबिक की जाएगी। कंपनी को वित्तीय पैकेज के तहत 1309.90 करोड़ नकद मिलेंगे। जबकि 3,467.15 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद कर्ज को इक्विटी में बदलने के काम आएगी। इस कंपनी में जनवरी, 2003 के बाद से उत्पादन नहीं हो रहा है। कंपनी के सभी कर्मचारियों के वेतनमान में भी 1997 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। एचसीएल की स्थापना 1952 में हुई थी। इस कंपनी की चार यूनिटें- रूपनारायणपुर और नरेंद्रपुर पश्चिम बंगाल में, हैदरबाद तेलंगाना में और नैनी (इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश में हैं। इसकी स्थापना सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों- BSNL और MTNL की जरूरतों को पूरा करने के मकसद से की गई थी।
6. रूसी तेल क्षेत्रों में हिस्सेदारी खरीदने को मिली हरी झंडी:- सीसीईए ने 3.14 अरब डॉलर (करीब 21,000 करोड़ रुपये) की राशि से तीन सरकारी कंपनियों की ओर से दो रूसी तेल क्षेत्रों में हिस्सेदारी खरीदने को मंजूरी दे दी है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC ), ऑयल इंडिया और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL ) साइबेरिया के तास-युयाख ऑयलफील्ड में 23.9 फीसद हिस्सा लेंगी। जबकि तीनों कंपनियां वैंकोर ऑयलफील्ड में 23.9 फीसद हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेंगी।
7. बैंक व बीमा कंपनियों  के लिए बनेगा रिजॉल्यूशन कॉरपोरेशन : वित्तीय कंपनियों के दिवालिएपन के मामले देखेगा नया कॉरपोरेशन:- गैर वित्तीय कंपनियों (NBFC) के दिवालिएपन के मामले जल्द सुलझाने के लिए संसद से बैंक्रप्सी कोड पारित कराने के बाद सरकार बैंकों और बीमा कंपनियों सहित विभिन्न तरह की वित्तीय संस्थाओं के दिवालिएपन से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए एक नयी संस्था बनाने जा रही है। रिजॉल्यूशन कॉरपोरेशन नाम की इस संस्था का दफ्तर मुंबई में होगा तथा इसके बोर्ड में भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी(SEBI) , इरडा (IRDA) और (PFRDA) पीएफआरडीए जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि होंगे। माना जा रहा है कि सरकार जल्द ही इस संस्था के गठन के लिए संसद में एक विधेयक पेश कर सकती है। वित्त मंत्रलय की एक समिति ने इस संस्था के गठन की सिफारिश की है। समिति का कहना है कि हाल के अनुभवों के मद्देनजर वित्तीय संस्थाआंे को दिवालिएपन के मामले सुलझाने के लिए ऐसे तंत्र की जरूरत है, जहां अविलंब कार्रवाई हो। साथ ही इसमें बैंकों और बीमा कंपनियों के ग्राहकों के साथ-साथ विभिन्न पक्षों तथा अर्थव्यवस्था के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले किए जाएं। इसलिए समिति ने रिजॉल्यूशन कॉरपोरेशन के गठन का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्रलय के अतिरिक्त सचिव अजय त्यागी की अध्यक्षता वाली इस समिति का गठन मार्च 2016 में किया था। इसमें वित्त मंत्रलय तथा वित्तीय क्षेत्र के नियामकों के प्रतिनिधि शामिल थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चालू वित्त वर्ष के आम बजट में वित्तीय कंपनियों से जुड़े दिवालिएपन के मामलों को सुलझाने के लिए एक विशेष तंत्र बनाने की घोषणा की थी।
उल्लेखनीय है कि सामान्य कंपनियों के लिए सरकार बैंक्रप्सी कोड को कानून का रूप दे चुकी है। इस कोड के दायरे में वित्तीय कंपनियां नहीं हैं। इसलिए वित्तीय कंपनियों के लिए अलग से एक कानून बनाने की जरूरत महसूस की जा रही थी। जिस तरह से नए तरह के पेमेंट बैंक तथा वित्तीय संस्थाएं बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि संकट में फंसी वित्तीय कंपनियों के दिवालिएपन से जुड़े मामलों को शीघ्र सुलझाने के लिए कोई नई संस्था हो।
8. भारत में रोजगार जोन बनाने को चीन के साथ बातचीत:-
बदली परिस्थितियों में भारत और चीन के बीच आर्थिक रिश्तों में भी बदलाव की तैयारी है। अभी तक चीन में बना सामान भारत में बिकता है, लेकिन आगे चीन का सामान भी भारत में बन सकता है। चीन में मजदूरी महंगी हो रही है, भारत में अभी मजदूर कम में भी गुजारा कर लेता है। दोनों देशों के बीच पांच रोजगार क्षेत्र बनाने पर र्चचा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद चीन की तरफ फोकस किया है। उन्होंने चीन की यात्रा की और चीन के राष्ट्रपति ने भी भारत की यात्रा की। उसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए भारत और चीन के बीच रणनीतिक आर्थिक वार्ता होने जा रही है। यह वार्ता छह व सात अक्टूबर को दिल्ली में होगी, जिसमें भारत की तरफ से नीति आयोग और चीन की तरफ नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म कमीशन बातचीत करेंगे। चीन की तरफ से 220 प्रतिनिधि भारत आ रहे हैं, जिनमें कई बड़े उद्योगपति शामिल हैं। भारत की तरफ से बड़ी संख्या में उद्योगपति शामिल होंगे। दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के लिए कुछ खास क्षेत्रों क पहचान की गई है। इनमें रेलवे, रोड, सौर ऊर्जा, शहरीकरण, इलेक्ट्रॉनिक मैनुफे क्चरिंग शामिल हैं। दोनों के देशों के बीच तटीय रोजगार क्षेत्र बनाने को लेकर बातचीत होनी है। उद्ेश्य है कि चीन की कंपनियों और चीन में काम रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भारत आने के लिए न्यौता दिया जाए। उन्हें अपना कारोबार भारत में शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाए। तटीय रोजगार क्षेत्र में आने वाली कंपनियों को विशेष सुविधाएं दी जाएंगी।
9. भारत 39वीं सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था:-
भारत विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक  प्रतिस्पर्धा सूचकांक में 16 अंक की छलांग लगाकर 39वें स्थान पर पहुंच गया है। कारोबारी जटिलताओं तथा वस्तु बाजार दक्षता में सुधार से भारत की रैंकिंग सुधरी है। लगातार आठवीं बार स्विट्जरलैंड सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बना है। सिंगापुर दूसरे व अमेरिका तीसरे नंबर पर है।पिछले साल भारत सूची में 55वें स्थान पर था। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों में भारत पड़ोसी चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। चीन इस सूची में 28वें स्थान पर है। इंडेक्स में भारत के अंक 4.52 रहे, जबकि पहले स्थान पर रहने वाले स्विट्जरलैंड के 5.81 अंक थे।
10. किम फिर बने विश्व बैंक प्रमुख:-
जिम यांग किम को विश्व बैंक के अध्यक्ष पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए फिर से चुन लिया गया है। उनका कार्यकाल पांच साल का होगा। बैंक की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक उनका अगला कार्यकाल अगले साल एक जुलाई से प्रारंभ होगा।किम ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘इस महान संस्थान के मुखिया के तौर पर दूसरा कार्यकाल मिलने से मैं अभिभूत हूं। मैं गरीबी से मुक्त समग्र विश्व के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करूंगा।’ उन्होंने कहा कि साल 2012 में जब वह बैंक के साथ जुड़े थे तब उन्होंने दो महत्वाकांक्षी लक्ष्य अपने सामने रखे थे। पहला, वर्ष 2030 तक अत्यंत गरीबी को खत्म करना और दूसरा हर विकासशील देश में पायदान की 40 फीसद आबादी की आय में इजाफा कर साझा समृद्धि को बढ़ाना।
11. शिमोन पेरेज:-
इजरायल के संस्थापकों में शामिल पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता शिमोन पेरेज अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत दुनिया के कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। मोदी ने कहा कि दुनिया ने प्रमुख नेता और भारत ने मित्र को खो दिया है। 93 वर्षीय पेरेज के लगभग सभी अंगों ने मंगलवार को काम करना बंद कर दिया था। 13 सितंबर को स्ट्रोक के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। उन्होंने बुधवार तड़के करीब तीन बजे अंतिम सांस ली। पेरेज 1993 के ओस्लो शांति समझौते के सूत्रधार रहे। इजरायल और फलस्तीनियों के बीच पहली बार यह शांति समझौता हुआ था। इस उपल}िध के लिए पेरेज और फलस्तीन लिबरेशन आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष यासर अराफात को संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार मिला था।

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