Current Affairs 30 September

1.LOC पर भारतीय सेना का सर्जिकल स्ट्राइक :- सेनाबोलती नहीं, वो पराक्रम करती है। ...मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन लाइनों का अर्थ बुधवार आधी रात को पाकिस्तान को समझा दिया गया है। देश की सेना ने ऐसा पराक्रम दिखाया, जिसकी पाकिस्तान ने कल्पना तक नहीं की थी। इतिहास में पहली बार सेना पीओके में तीन किमी अंदर तक घुस गई और 7 कैंपों को तबाह कर 38 आतंकियों को मार डाला। रात साढ़े 12 से सुबह साढ़े 4 बजे तक चली इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सेना वापस अपनी सीमा में लौट आई। पूरी कार्रवाई के दौरान भारत का कोई भी जवान हताहत नहीं हुआ। कार्रवाई के 8 घंटे बाद डीजीएमओ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सेना के शौर्य का खुलासा किया। इसके बाद तो भारत में जहां सीना गर्व से फूल गया, वहीं पाकिस्तान में हड़कंप सा मच गया। नवाज शरीफ ने पहले तो सर्जिकल स्ट्राइक को स्वीकारा, फिर निंदा की और जब सेना का दबाव पड़ा तो मुकर गए। कहा- ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। जवाब में भारत ने पूरी कार्रवाई की ड्रोन से वीडियोग्राफी का सच सामने रख दिया। पाकिस्तान के संभावित रिएक्शन के लिए खुद को तैयार करते हुए भारत ने पाकिस्तान से लगी सभी सीमाओं के 10 किमी तक के इलाके को खाली करा लिया। साथ ही कश्मीर से गुजरात तक जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी। भारतीय सेना ने कहा कि हम हर तरह का जवाब देने के लिए तैयार हैं...। इस बीच देश के सभी पार्टियों ने सरकार के सख्त रुख का समर्थन किया है।

5 प्वाइंट में वो सबकुछ, जो आप जानना चाहते हैं...:-
• अबतक चल रही कूटनीति से अचानक सामरिक एक्शन क्यों? :- कुछअचानक नहीं हुआ। उड़ी हमले के बाद जिस दिन मोदी वॉर रूम में गए थे, ये रणनीति उसी दिन से बननी शुरू हो गई थी। पुख्ता इंटेलिजेंस इनपुट इकट्ठे किए गए। भारत के एक्शन के जवाब में पाकिस्तान के रिएक्शन और उस रिएक्शन पर हमारे संभावित जवाब का पूरा प्लान फाइनल किया गया। इसके बाद ही ये कार्रवाई की गई। इसमें 10 दिन लग गए।
• अब सिंधु समझौता और एमएफएन का दर्जा रद्द करने जैसे मुद्दे का क्या? :- देशमें भी और दुनिया में भी ये बताना जरूरी हो गया था कि भारत कुछ कर रहा है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय दबाव भी आए। इसलिए वही कदम उठाए जा रहे हैं, जो नजर आए। सिंधु जल समझौता तोड़ना आसान नहीं था। वो भारत के खिलाफ जा सकता था। अगला कदम पाक को दिया मोस्ट फेवरेट नेशन MFN का दर्जा वापस लेने और सीजफायर समझौता तोड़ने का हो सकता है।
• अब क्या पाकिस्तान रिएक्ट नहीं करेगा? उसकी भी तो तैयारी होगी... :- नवाजशरीफ फंस गए हैं। अगर कार्रवाई नहीं करते हैं तो सेना तख्ता पलट सकती है। कट्टरपंथियों-आतंकी गुटों के गुस्से का भी सामना करना पड़ सकता है। और कार्रवाई करते है तो वो सीमित युद्ध होकर बड़े युद्ध की ओर जाएंगे। भारत-पाक एटमी शक्ति हैं, ऐसे में अमेरिका या यूएन पाक पर दबाव बढ़ाएंगे। मौजूदा हालात पाक को गृह युद्ध की ओर ले जा सकते हैं।
• इस हमले से भारत को सबसे ज्यादा क्या हासिल हुआ? :- साॅफ्ट स्टेट की छवि टूटेगी। 11 दिन से जो दबाव बना रखा था, वो दुनिया को पता था। पर भारत एलओसी पार कर सकता है, ये कल्पना किसी को नहीं थी। ऐसे में एक संदेश स्पष्ट रूप से दुनिया में गया है कि भारत सैन्य विकल्प भी उपयोग कर सकता है। वो भी उतने ही गोपनीय तरीके से जितना एटमी परीक्षण के समय किया गया था।
• इस बार कोई नई रणनीति या बात, जो दुनिया को चौंकाती है...:- सर्जिकलऑपरेशन पहले भी हुए हैं, पर कभी भी सेना ने खुलासा नहीं किया। पहली बार हमें बताया गया। साथ ही हमारे डीजीएमओ ने पाकिस्तान के डीजीएमओ को फोन कर इसकी जानकारी भी दी। हमारी सरकार ये बताना चाहती थी। ताकि एक संदेश जाए कि अब भारत के सब्र की सीमा खत्म हो रही है...।
सर्जिकल स्ट्राइक क्या है : यह कार्रवाईबिना जानकारी दिए चुपचाप की जाती है। इसमें लक्ष्य को ध्वस्त करने के लिए सटीक हमला किया जाता है। यह एक तरीके की सीमित युद्ध कार्रवाई होती है। सर्जिकल हमलों से लक्ष्यों को निष्क्रिय बनाने की प्रक्रिया बड़े पैमाने पर लड़ाई छिड़ने से बचाती है। सर्जिकल स्ट्राइक भारत को कोल्ड स्टार्ट सिद्धांत का हिस्सा है। सेना पूर्व में भी एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ रोकने में सफल साबित हुई है। आतंकी हमेशा जम्मू कश्मीर और भारत के बड़े शहरों में हमले करने की ताक में रहते हैं।कैसे होती है सर्जिकल स्ट्राइक: विशिष्ट जानकारी हासिल करने के बाद लक्ष्य पर सटीक और तेजी से हमले किए जाते हैं ताकि आसपास के क्षेत्रों में नागरिकों को नुकसान न हो। कार्रवाई में हेलीकॉप्टर भी शामिल : इसको हवाई हमले, विशेष आक्रमण दल के सदस्यों को हेलीकॉप्टर से उतारना और जमीनी कार्रवाई शामिल होते हैं। तीनों सेनाओं के अपने-अपने अभियान दल हैं। इनके ब्योरे कभी सार्वजनिक नहीं किए जाते। विदेशों में स्थित खुफिया सतर्कता दलों की इन स्ट्राइक में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इनमें खुफिया ब्यूरो और रॉ शामिल होते हैं।
विश्लेषण
ये हमला ठीक वैसा ही हुआ है, जैसा देश उम्मीद कर रहा था। हमारी सर्जिकल स्ट्राइक आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तान के दिमाग को भी टारगेट करेगी। उनके लिए यह सबसे बड़ा मैसेज है। 11 दिन पहले उड़ी में हुए हमले के बाद डीजीएमओ ने कहा था हम जवाबी कार्रवाई जरूर करेंगे। लेकिन जगह और वक्त हम तय करेंगे। ये हमला उसी रणनीति का सफल नतीजा है।
नियंत्रण रेखा के आसपास इस तरह के हमलों के प्लान हमारे पास हमेशा होते हैं। सेना को इन जगहों की जानकारी पहले से होती है। ये हमला भी लंबी स्ट्रैटेजी के तहत हुआ है। और अभी ये आगे चलता रहेगा। बस राजनीतिक हां मिलने की जरूरत होगी। हाल ही में हमारी पॉलिटिकल लीडरशिप ने पाकिस्तान के खिलाफ जो बयान दिए हैं उससे सेना को बल मिला है। जहां तक पाकिस्तान की बात है, तो वो हमेशा से इंकार करता रहा है कि उसने कभी आतंकवाद का साथ दिया है। वो तो ये भी नहीं मानता कि इन सब कारणों से उसका कभी नुकसान हुआ। भले हमले वो करे या हमारी ओर से जवाबी कार्रवाई हो। पाकिस्तान का ये रवैया नया नहीं है। यही वजह है कि पाकिस्तान मना कर रहा है कि ऐसी कोई स्ट्राइक हुई है। एलओसी पर जो लांचिंग पैड है, दरअसल वो पाकिस्तानी सेना के कैंप होते हैं। वहीं आतंकवादियों को पनाह भी मिलती है। इस स्ट्राइक से नुकसान सिर्फ आतंकवादियों को ही नहीं, पाकिस्तानी सेना के जवानों को भी हुआ होगा। अब इस स्ट्राइक के बाद अगर पाकिस्तान कुछ करने के लिए सोचता है तो हमारी सेना तैयार है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षामंत्री, मिलिट्री कमांडर्स मिलकर कार्रवाई की प्लानिंग कर रहे हैं। हमारे वॉर रूम में वॉर गैम्स चल रहे हैं। हम जानते हैं कि दुश्मन की तरफ से क्या जवाब हो सकता है। हमने हमारा टारगेट हासिल कर लिया है। पाकिस्तान ये समझ ले कि उसने हम पर हमला किया था, तो भारत ने उसका जवाब दिया है। ये जस्टिफाइड है। हमने लाइन ऑफ कंट्रोल पर कार्रवाई की है। उसके आगे ले जाना हमारा मकसद नहीं है। पर रिएक्शन में कुछ हुआ तो हम हर चीज के लिए तैयार भी हैं। पाकिस्तान की एटमी हमले की धमकी से भारतीय सेना डरनेवाली नहीं है। जब पता चल जाता है कि हमें न्यूक्लियर पावर पर हमला करना है तो तैयारी भी न्यूक्लियर हथियार वाले देश से मुकाबले के मुताबिक ही होती है। ये बच्चों का खेल नहीं है कि आप यूं ही हमें डरा देंगे। अगर देश का राजनीतिक नेतृत्व निर्णय लेता है कि सेना की ताकत का इस्तेमाल करना है तो पाक की धमकियों से हमारी कार्रवाई रुकेगी नहीं। अगर सवाल ये है कि अंतरराष्ट्रीय प्रेशर कैसे हैंडल होगा तो नेशनल सिक्योरिटी हमारे लिए अहम है। प्रेशर तो बना रहेगा। इस सबके बीच पाक आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी रखेगा। वह ऐसा ढांचा तैयार कर चुका है जो दो मुंही तलवार है। हमारी सरकार ने जो शुरू किया है वो एक रात में नतीजे नहीं देगी। पर इसका असर होगा।
2. भारत सौंपेगा दुनियाभर के देशों को पाक के खिलाफ सबूत :-
सरकार की योजना है कि वह पाकिस्तान के अलावा विश्व के अन्य देशों को भी पाकिस्तान के आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने से संबंधित सबूत सौंपे, ताकि पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब किया जा सके। इसके तहत सभी देश के दूतावासों, क्षेत्रीय संगठनों व बड़े राष्ट्रों के संगठनों के अलावा विश्वभर के देशों से जुड़े मंच के लोगों को सबूत सौंपने की कार्ययोजना पर काम किया जा रहा है। गौरतलब है कि भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों में हुई आतंकी घटनाओं में पाकिस्तान किसी न किसी तरह से शामिल पाया गया है।सूत्रों ने बताया कि इस बात को समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान के पास जम्मू कश्मीर में तथाकथित मानवाधिकार हनन के संबंध में जो भी सबूत हैं और जिन्हें वह संयुक्त राष्ट्र को सौंप रहा है, वह उसके पास कहां से आ रहा है। इसका सीधा मतलब यह है कि यहां उसके समर्थक लोगों और आतंकियों की भारी घुसपैठ है और ये समर्थक उसे यहां की जानकारी मुहैया करा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि भारत शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन (SCO ) समेत दिल्ली में रहने वाले विश्व के सभी देशों के राजदूतों, आसियान देशों के सदस्यों (जिनमें इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और वियतनाम के अलावा आस्ट्रेलिया किसी न किसी रूप में आतंकवाद से प्रभावित हैं) व ऐसे देश जो पाकिस्तान में निवेश करना चाहते हैं, को पाक के खिलाफ सबूत देने की कार्ययोजना पर काम कर रहा है। गौरतलब है कि पाकिस्तान को भारत में हुई आतंकी घटनाओं को लेकर कई बार सबूत सौंपे जा चुके हैं, लेकिन अब तक वहां मुंबई हमला मामले तक में बात आगे नहीं बढ़ी है। सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने बान की मून के अलावा तुर्की के सेना अध्यक्ष को कश्मीर में तथाकथित मनवाधिकार हनन को लेकर भारत के खिलाफ सबूत दिखाए थे। अगर पाकिस्तान यह कर सकता है तो भारत क्यों नहीं कर सकता। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से इटली होते हुए आतंकवाद को धन मुहैया कराने की बात भी प्र्वतन निदेशालय ने कही थी।
3. जाते-जाते ओबामा को लगा बड़ा झटका, सीनेट से वीटो खारिज : -
9/11 के पीड़ित ठोक सकेंगे सऊदी अरब पर मुकदमा:- अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को जाते जाते अमेरिकी संसद ने बड़ा झटका दिया है। अगले राष्ट्रपति के चुनाव से महज एक माह पहले गुरुवार को संसद ने 9/11 विधेयक पर ओबामा द्वारा किया गया वीटो खारिज कर दिया। ओबामा ने राष्ट्रपति के तौर पर आठ साल में संसद द्वारा पारित विधेयकों पर 12 वीटो किए जिनमें से यह पहला वीटो है जिसे संसद ने भारी बहुमत से खारिज कर दिया। अब 9/11 विधेयक कानून माना जाएगा और उस सबसे बड़े आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों के सदस्य सऊदी अरब पर मुकदमा चला सकेंगे। राष्ट्रपति ओबामा ने वीटो खारिज किए जाने को अप्रत्याशित और अमेरिका के लिए घातक करार दिया है।
राष्ट्रपति के रूप में बराक ओबामा का यह अंतिम वीटो था। अगले साल जनवरी में उनका आठ साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। आतंकवाद को पालने वालों के खिलाफ न्याय अधिनियम (जास्टा) नाम वाले बिल के खिलाफ ओबामा ने पूरा जोर लगा दिया था। उन्होंने इसे अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया था। इसकानून को रोकने के लिए सऊदी अरब सरकार के साथ ही अमेरिकी कंपनियां भी जोर लगा रही थीं। इनमें जनरल इलेक्ट्रिक और डाओ कैमिकल्स भी शामिल हैं। डाओ में यूनियन कार्बाइड का विलय हुआ था जो भोपाल में हुई गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार है।
4. अफगानिस्तान में शांति के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी-हिकमतयार के बीच हुआ समझौता:- अफगानिस्तानमें शांति के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित गुलबुद्दीन हिकमतयार के बीच समझौता हो गया है। दोनों ने गुरुवार को समझौते पर दस्तखत किए। राष्ट्रपति गनी ने संकल्प किया वे हिकमतयार का नाम आतंकी सूची से निकलवाने के लिए अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र से बात करेंगे। हस्ताक्षर समारोह का सीधा प्रसारण किया गया। हिकमतयार ने वीडियो लिंक के जरिये समझौते पर दस्तखत किए। वर्ष 2001 में तालिबान से युद्ध छिड़ने के बाद यह पहला शांति समझौता है। हिकमतयार को अमेरिका ने 2003 में आतंकी घोषित किया था। 26 जून 1947 को जन्मे हिकमतयार अफगानिस्तान के तीन बार (1993-94, 1996, 1996-97) प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
5. PPF समेत सभी लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें घटीं:- सरकार ने 2016-17 की अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही के लिए लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में मामूली 0.1 प्रतिशत की कटौती की है। इससे लोक भविष्य निधि (पीपीएफ), किसान विकास पत्र, सुकन्या समृद्धि योजना समेत अन्य लघु बचत योजनाओं पर रिटर्न कम मिलेगा। निवेश के लिहाज से लोकप्रिय पीपीएफ पर अब चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8.0 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। इससे पहले यह 8.1 प्रतिशत था।किसान विकास पत्र पर ब्याज दर को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.7 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूपअब किसान विकास पत्र 110 महीने के बजाए 112 महीने में परिपक्व होगा। लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें तिमाही आधार पर अधिसूचित की जाती हैं। इसके अनुसार वित्त मंत्रालय ने 2016-17 में अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही के लिए ब्याज दरों को अधिसूचित किया है।इसके तहत तीसरी तिमाही में पांच साल के मियाद वाली वरिष्ठ नागरिक बचत योजना तथा पांच साल के राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र पर ब्याज दर क्र मश: 8.5 प्रतिशत और 8.0 प्रतिशत होगी। बालिकाओं के लिए सुकन्या समृद्धि योजना पर तीसरी तिमाही में ब्याज अब 8.5 प्रतिशत मिलेगा जो जुलाई-सितम्बरतिमाही में 8.6 प्रतिशत था। एक, दो, तीन, चार और पांच साल की जमा पर भी ब्याज दर 0.1 प्रतिशत कम किया गया है। जमाकर्ताओं को पांच साल की आवृत्ति जमा (RD ) पर एक अक्टूबर से ब्याज दर 7.3 प्रतिशत मिलेगी जो दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत थी। हालांकि बचत जमा पर ब्याज दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।
6. राज्यों में बेरोजगारी की दर 77 फीसद : परिवारों में नियमित आय या वेतनभोगी व्यक्ति नहीं:- केंद्र सरकार के रोजगार सृजन पर जोर के बावजूद देश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। श्रम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार देश की बेरोजगारी दर 2015-16 में पांच प्रतिशत पर पहुंच गई जो पांच साल का उच्च स्तर है।महिलाओं के मामले में बेरोजगारी दर उल्लेखनीय रूप से 8.7 प्रतिशत के उच्च स्तर पर जबकि पुरु षों के संदर्भ में यह 4.3 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा केंद्र की भाजपा शासित सरकार के लिए खतरे की घंटी हो सकती है जिसने देश में समावेशी वृद्धि के लिए रोजगार सृजित करने को लेकर ‘‘मेक इन इंडिया’ जैसे कई कदम उठाए हैं। अखिल भारतीय स्तर पर पांचवें सालाना रोजगार-बेरोजगारी सव्रे के अनुसार करीब 77 प्रतिशत परिवारों के पास कोई नियमित आय या वेतनभोगी व्यक्ति नहीं है। श्रम ब्यूरो के अनुसार 2013-14 में बेरोजगारी दर 4.9 प्रतिशत, 2012-13 में 4.7 प्रतिशत, 2011-12 में 3.8 प्रतिशत तथा 2009-10 में 9.3 प्रतिशत रही। वर्ष 2014-15 के लिए इस प्रकार की रिपोर्ट जारी नहीं की गई।रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत जबकि शहरी क्षेत्र में 4.9 प्रतिशत थी।’ शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में बेरोजगारी दर 12.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है वहीं पुरु षों में 3.3 प्रतिशत तथा किन्नरों में यह 10.3 प्रतिशत रही।सव्रे सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में अप्रैल 2015 से दिसंबर 2015 के दौरान किए गए।
7. OPEC में उत्पादन कटौती पर सहमति:- तेल निर्यातक देशों का प्रमुख संगठन ओपेक कच्चा तेल के उत्पादन में सात लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती पर सहमत हो गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल के दाम में पांच फीसद से ज्यादा का उछाल देखा गया।अल्जीरिया की राजधानी अल्जीयर्स में ओपेक देशों की अनौपचारिक बातचीत के दौरान ईरान को लेकर सऊदी अरब के रुख में नरमी से यह समझौता संभव हुआ है। वर्ष 2008 के बाद यह पहली बार है जब ओपेक देश उत्पादन घटाने पर सहमत हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जून 2014 में 115 डालर प्रति बैरल के पार रहा ब्रेंट क्रूड अतिउत्पादन के दबाव में 45 डालर प्रति बैरल के स्तर पर बना हुआ था। कम कीमतों के कारण ओपेक देश उत्पादन में कटौती पर गंभीरता से विचार कर रहे थे, लेकिन सऊदी अरब और ईरान की आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण समझौता नहीं हो पा रहा था।ईरान के तेल मंत्री बिजान जंगनेह ने समझौते के बारे में बताया, ओपेक ने एक ऐतिहासिक फैसला किया है। ढाई साल बाद ओपेक में ‘‘बाजार प्रबंधन’ पर सहमति बनी है। ओपेक का मौजूदा उत्पादन तीन करोड़ 32 लाख बैरल प्रतिदिन से कुछ अधिक होने का अनुमान है जिसे घटाकर तीन करोड़ 25 लाख बैरल से तीन करोड़ 30 लाख बैरल के बीच किया जाएगा। श्री जंगनेह ने कहा, हमने उत्पादन सात लाख बैरल घटाने का निर्णय लिया है।
8. SAARC सम्मेलन समय पर कराने की कोशिश में नेपाल:- भारत सहित चार देशों ने भले ही पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया हो, बावजूद इसके नेपाल इसे निर्धारित समय पर कराने की कोशिश में है। इसके लिए उसने सभी सदस्यों से रचनात्मक माहौल बनाने का आग्रह किया है। नेपाल सार्क का अध्यक्ष है। इस्लामाबाद में प्रस्तावित दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के 19वें शिखर सम्मेलन में भारत के हिस्सा लेने से इन्कार के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी इसमें शिरकत से मना कर दिया। नेपाल ने गुरुवार को कहा, ‘उसे भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश व भारत से 9-10 नवंबर को होने वाले सार्क सम्मेलन में भाग नहीं लेने की सूचनाएं मिली हैं। इन देशों का कहना है कि मौजूदा क्षेत्रीय माहौल रचनात्मक नहीं है।’ उसने कहा है, ‘हमने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लिया है। नेपाल मजबूती के साथ आग्रह करता है कि इस सम्मेलन में सार्क चार्टर की भावना के अनुरूप सभी सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए जल्द रचनात्मक माहौल बनाया जाएगा। मौजूदा नियमानुसार, अगर कोई एक सदस्य देश भी खुद को अलग कर लेता है तो सम्मेलन स्वत: ही रद या स्थगित हो जाएगा। सम्मेलन से खुद को अलग करने वाले देशों ने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर ऐसा माहौल पैदा करने का आरोप लगाया है जो इस सार्क की बैठक की सफलता के अनुकूल नहीं है।