6 October Current Affairs

6 October
1.पुर्तगाल के गुतेरस होंगे संयुक्त राष्ट्र के नए महासचिव:-
पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमंत्री एंटोनियो गुतेरस का संयुक्त राष्ट्र का नया महासचिव बनना तय हो गया है। सुरक्षा परिषद में छठे मतदान के बाद इस पद के लिए उनका नाम आगे आया है। रूसी राजदूत और अक्टूबर माह के लिए सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष विताली चर्किन ने बताया कि गुतेरस सबसे पसंदीदा हैं। गुरुवार को औपचारिक मतदान के बाद 193 सदस्यीय महासभा में चुनाव के लिए उनके नाम की पुष्टि की जाएगी। बुधवार को मतदान में सुरक्षा परिषद के किसी भी स्थायी सदस्य ने उनके नाम पर वीटो नहीं लगाया है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में गुप्त मतदान के जरिये 10 उम्मीदवारों के लिए वोट डाले गए। इसमें गुतेरस को 13 सदस्यों ने समर्थन दिया जबकि दो ने कोई राय नहीं जताई।
2. यूएन कोर्ट ने खारिज किया भारत के खिलाफ केस:- संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत ने परमाणु हथियारों की होड़ पर लगाम लगाने में कथित तौर पर नाकाम हुए भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के खिलाफ मार्शल द्वीपसमूह की ओर से दायर मुकदमा बुधवार को खारिज कर दिया।बहुमत के आधार पर फैसला सुनाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) की 16 जजों वाली पीठ ने कहा, ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मार्शल द्वीपसमूह का परमाणु शक्तिसंपन्न भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन से पहले कभी कोई विवाद रहा हो या उसने इस मुद्दे पर तीनों देशों से कभी कोई द्विपक्षीय वार्ता की मांग की हो। पीठ की अध्यक्षता कर रहे जज रॉनी अब्राहम ने अलग फैसले में कहा, अदालत सभी देशों की ओर से अधिकार क्षेत्र पर जताए गए ऐतराज को बरकरार रखती है और इसलिए न्यायाधिकरण इस मामले के गुणदोषों पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकती।
3. अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण पर ब्रसेल्स में बुधवार से शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन:-
अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास की प्रतिबद्धता दोहराते हुए भारत ने पड़ोसी देशों के बीच व्यापार में अड़ंगा डालने पर पाकिस्तान को चेताया है। विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने भारत को अफगानिस्तान का परंपरागत बाजार बताते हुए कहा कि पाकिस्तान को इस रास्ते में दीवार नहीं बनने देंगे। वे अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण पर ब्रसेल्स में बुधवार से शुरू हुए दो दिवसीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी की मौजदूगी में इस सम्मेलन में 70 देशों और 30 संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। क्षेत्रीय एकता और समृद्धि विषय पर आयोजित बैठक में उन्होंने कहा कि अफगानी सामान के लिए भारत ने अटारी सीमा पर विशेष इंतजाम किए हैं। लेकिन, राजनीतिक कारणों से पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की यह पहुंच रोक दी है। उन्होंने कहा कि कोई भी देश दोनों देशों की ऐतिहासिक संस्कृति, व्यापार के बीच दीवार खड़ी नहीं कर सकता। हम अफगानिस्तान के साथ काम करते रहेंगे और उसके उत्पाद को जमीन, समुद्र और हवाई रास्ते से भारत लाएंगे। इस दिशा में इस साल मई में भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हुए समझौते को उन्होंने काफी महत्वपूर्ण बताया।
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए अकबर ने कहा कि जो अफगानिस्तान का रास्ता रोक रहे हैं, असल में वे पूरे क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उनकी मंशा ठीक नहीं। विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार वस्तुओं की पर्याप्त आवाजाही का अधिकार नहीं देकर भी अफगानिस्तान को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने विकास के लिए शांति को जरूरी बताते हुए कहा कि आतंक के साये में विकास नहीं हो सकता। बड़े पैमाने पर आतंकी हिंसा के कारण ही अफगानिस्तान में विकास परियोजनाओं का क्रियान्वयन और निवेश की राह में मुश्किल आ रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। इसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती।इस्लामाबाद, एएफपी : पाकिस्तान में रह रहे दो लाख से यादा अफगान शरणार्थी इस साल स्वदेश लौटे हैं। इनमें से आधे की वापसी तो सितंबर में ही हुई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR )के अनुसार 2002 में तालिबान को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से वतन लौटने वाले अफगानों की यह सबसे बड़ी संख्या है।
यूएनएचसीआर के प्रवक्ता कैसर खान अफरीदी ने बताया कि रोजाना बड़ी तादाद में अफगान शरणार्थी पाकिस्तान छोड़ रहे हैं। जुलाई के बाद से अब तक दो लाख से यादा अफगान अपनी मर्जी से घर लौटे हैं। अकेले सितंबर में 98 हजार लोगों ने वतन वापसी की है। इस महीने में अब तक हर रोज लगभग पांच हजार अफगान स्वदेश गए हैं। मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी के अनुसार पाकिस्तान में 16 लाख शरणार्थी रहते हैं।
वह दूसरे देश के लोगों को शरण देने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। यूएनएचसीआर का मानना है कि इनके अलावा 10 लाख शरणार्थी बिना दस्तावेज के भी पाकिस्तान में रह रहे हैं। लेकिन, तीन दशक से जारी युद्ध के कारण जर्जर अफगानिस्तान में अधिकारियों का कहना है कि बेघर लोगों की बढ़ती संख्या से निपटना सरकार और सरकारी एजेंसियों के लिए चुनौती बन रहा है। अफगान सरकार को इस प्रक्रिया में दूसरे देशों से मदद मिलने की उम्मीद है।
4.एचआईवी एवं एड्स संशोधन बिल को कैबिनेट ने दी मंजूरी:-
सरकार ने देश  में HIV संक्रमण की रोकथाम और इससे पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव को रोकने तथा उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए एचआईवी एवं एड्स संशोधन विधेयक (रोक एवं नियंत्रण) 2014 को बुधवार को मंजूरी दे दी।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। नई व्यवस्था के तहत देश में एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों के साथ रोजगार, शिक्षा, बीमा और किराए पर मकान या अस्पताल में इलाज के मामले में भेदभाव कानूनी रूप से वर्जित होगा। भेदभाव के खिलाफ वे बाकायदा शिकायत दर्ज करा सकेंगे। भेदभाव की शिकायतें दर्ज करने और उनके निपटारे के लिए अलग से एक पण्राली विकसित करने की व्यवस्था होगी। इसके लिए हर राज्य में एक लोकपाल नियुक्त किया जाएगा। एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को अपने रोग के बारे में जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। उनके इलाज की गोपनीयता बरकरार रखी जा सकेगी। उनकी सहमति के बाद ही उनके इस रोग के बारे में जाना जाएगा, लेकिन अदालत के आदेश पर उन्हें अपने रोग की जानकारी देनी होगी। संशोधित कानून के अनुसार अब किसी प्रतिष्ठान या स्कूल द्वारा रोजगार या शिक्षा देने या चिकित्सा के लिए किसी व्यक्ति के एचआईवी टेस्ट अनिवार्य बनाए जाने पर भी रोक लगा दी गई है। अब एचआईवी से पीड़ित 18 साल से कम उम्र के लोगों को अपने घर में रहने का अधिकार भी होगा। एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति या उसके साथ रहने वाले व्यक्ति के बारे में नफरत फैलाने और इससे जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री प्रकाशित करने पर भी रोक लगेगी। केन्द्र के साथ ही राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि वे इस रोग की रोकथाम के लिए समुचित उपाय करने के साथ ही उन्हे एंटी रेट्रोवायरल उपचार उपलब्ध कराने, उनके लिए जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करने, एड्स जागरूकता कार्यक्रम चलाने तथा एड्स से पीड़ित बच्चों के इलाज और देखभाल के लिए दिशानिर्देश तय करने की व्यवस्था करें।
बिल के अहम प्रावधान
• एचआइवी संक्रमित व्यक्ति को पूरा इलाज और दवा उपलब्ध करवाना सरकार की जिम्मेदारी होगी।
• कार्यस्थल, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल या धार्मिक स्थलों आदि पर एचआइवी और एड्स से संक्रमित व्यक्तियों से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
• रहने की जगह पर भी उनके साथ अगर कोई भेदभाव कर रहा है तो वह इसकी शिकायत कर सकते हैं। हर राय में ऐसी शिकायतों की सुनवाई के लिए एक लोकपाल का कार्यालय बनाया जाएगा।
• सौ से यादा कर्मचारियों वाले संस्थानों को ऐसे व्यक्तियों की शिकायत सुनने के लिए एक अधिकारी की जिम्मेदारी तय करनी होगी।
• कोई भी सरकारी या निजी संस्थान नौकरी, शिक्षा या कोई भी सेवा देने के लिए यह शर्त नहीं रख सकेगा कि व्यक्ति को एचआइवी संक्रमण नहीं होने का प्रमाणपत्र पेश करना होगा।
5. श्रीलंका भी भारत के साथ  :कहा- दक्षेस के लिए सीमा पार आतंकवाद प्रमुख मुद्दा:-
श्रीलंका ने बुधवार को जोर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध कोई विकल्प नहीं है तथा सीमा पार आतंकवाद दक्षेस के लिए विचार विमर्श का एक प्रमुख विषय है। आठ देशों के समूह के सदस्यों को आगे बढ़ने के पहले इस पर तथा इसके असर के बारे में र्चचा करनी होगी। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्र मसिंघे ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति सहित प्रमुख क्षेत्रीय और द्विपक्षीय मुद्दों पर र्चचा की। इसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने जोर दिया कि अगर दक्षेस बिखर जाता है तो भी सीमा पार आतंकवाद समाप्त नहीं होगा, इसलिए भारत को गौर करना है कि इससे निपटते हुए किस प्रकार आगे बढ़ा जाए।उन्होंने कहा, सीमा पार आतंकवाद का विषय मेज पर है। दक्षेस को इस पर गौर करना है और जो हुआ (दक्षेस बैठक का रद्द किया जाना) उस पर विचार करना है। हम इसे किस प्रकार संचालित कर रहे हैं। दक्षेस को दो मुद्दों पर फैसला करना है, सीमा पार आतंकवाद और वैसे क्षेत्र जिनमें हम मिलकर काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा, अगर हम ऐसा नहीं करते तो दक्षेस का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के कारण समूह में कोई प्रगति नहीं हुयी है। उरी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के आसार के बारे में पूछे जाने पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे नहीं लगता कि युद्ध किसी के लिए भी कोई विकल्प है। उन्होंने कहा कि तनाव को दूर करने के लिए मोदी ने कई कदम उठाए हैं। उनसे सवाल किया गया था कि इस्लामाबाद में दक्षेस बैठक के बारे में श्रीलंका ने विलंब से प्रतिक्रि या व्यक्त की और बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान की तरह वह पाकिस्तान प्रायेजित सीमा पार आतंकवाद की निंदा में मुखर नहीं था। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और बांग्लादेश की अपनी आंतरिक सुरक्षा की समस्या है तथा श्रीलंका के साथ यह मामला नहीं है। लेकिन कोलंबो ने कहा कि बैठक के लिए माहौल अनुकूल नहीं है।विक्र मसिंघे ने जोर दिया कि श्रीलंका भी आतंकवाद से प्रभावित रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए कि सीमा पार आतंकवाद समाप्त हो। उन्होंने कहा, चूंकि हमने इसे समग्र संदर्भ में देखा है, हमने आपकी सरकार से यह र्चचा की कि दक्षेस यहां से किस प्रकार आगे बढ़े। यह सुनिश्चित हो कि भारत या किसी अन्य देश में सीमा पार से कोई आतंकवाद नहीं हो। इस बारे में कि अगर कोई सदस्य समूह से अलग हो जाता है तो क्या दक्षेस को बचाया जा सकता है, उन्होेंने कहा कि अगर कोई देश छोड़ देता है तो यह दक्षिण एशिया (एसोसिएशन) नहीं रह जाएगा।
6. आटोमेशन के कारण  भारत में 69 फीसद रोजगार पर लटकी तलवार:-
स्वचालन (Automation ) के बढ़ते उपयोग से बड़े पैमाने पर रोजगार जा सकते हैं। विश्व बैंक की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार इससे भारत में 69 फीसद और चीन में 77 फीसद रोजगार को खतरा है। इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी परंपरागत आर्थिक रास्ते के प्रतिरूप को बुनियादी रूप से बाधित कर सकती हैं।विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम किम ने कहा, ‘‘चूंकि हम वृद्धि को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश को निरंतर प्रोत्साहित कर रहे हैं, ऐसे में हमें यह सोचना होगा कि विभिन्न देशों को भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए किस प्रकार की ढांचागत सुविधाओं की जरूरत है। हम सभी जानते हैं कि प्रौद्योगिकी ने लगातार बुनियादी रूप से दुनिया का एक नया आकार दिया है और देगा।’ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कृषि उत्पादकता बढ़ाने के परंपरागत आर्थिक रास्ते से हल्के विनिर्माण तथा उसके बाद पूर्ण रूप से औद्योगिकरण सभी विकासशील देशों के संभव नहीं हो सकता।’ किम ने कहा, ‘‘ऐसी संभावना है कि अफ्रीका के बड़े हिस्से में प्रौद्योगिकी बुनियादी रूप से इस प्रतिरूप को प्रभावित कर सकती है। विश्व बैंक की रपट के अनुसार स्वचालन से भारत में 69 फीसद, चीन में 77 फीसद तथा इथोपिया में 85 फीसद रोजगार को खतरा है।’उन्होंने कहा, ‘‘अगर यदि यह सच है और यदि इन देशों में नौकरियां जाती हैं तो हमें समझना होगा कि इन देशों के लिए आर्थिक वृद्धि के कौन से रास्ते उपलब्ध होंगे और उसके अनुसार बुनियादी ढांचे के बारे में रुख को अपनाना होगा।’ विश्व बैंक प्रमुख ने कहा कि मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी से परंपरागत औद्योगिक उत्पादन बाधित हुआ है और हाथ से किए जाने वाले कई काम समाप्त हुए हैं। इस प्रवृत्ति से अमेरिका समेत हर देश के लोग प्रभावित हुए हैं।
7. तीन विज्ञानियों को बेहद छोटी आणविक (Molecular ) मशीन के विकास में अनुसंधान के लिए रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार:- तीन विज्ञानियों को बेहद छोटी आणविक (मॉलिक्यूलर) मशीन के विकास में अनुसंधान के लिए रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। फ्रांस के जीन पियरे सावेज, ब्रिटेन के जे फ्रेजर स्टोडार्ट तथा नीदरलैंड्स के बर्नार्ड फेरिंगा का संयुक्त रूप से इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया।
तीनों को कुल 727,000 पाउंड यानी करीब 61.5 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि मिलेगी। विज्ञानियों ने जिस आणविक मशीन के लिए अनुसंधान किया वो बाल से भी एक हजार गुना पतली है। इससे ऐसी मशीनों के विकास में मदद मिलेगी जिनका इस्तेमाल शरीर के अंदर दवा देने के लिए किया जा सकेगा। उदाहरण के लिए कैंसर की कोशिकाओं में ऐसी नैनो मशीनों के जरिये दवा डाली जा सकेगी। नैनोटेक्नोलोजी के क्षेत्र में इसके जरिये स्मार्ट मशीनों को तैयार किया जा सकता है। इस अनुसंधान के आधार पर भविष्य में मॉलिक्यूल को जोड़कर कार की मोटर से लेकर छोटी मांसपेशियां तक बनाना संभव हो सकेगा। जीन पियरे सावेज 1944 में पेरिस में पैदा हुए। वो स्ट्रासबर्ग यूनिवर्सिटी में प्रोफसर रहे हैं। जे फ्रेजर स्टोडार्ट 1942 में ब्रिटेन के एडिनबर्ग में जन्मे और अमेरिका की नॉर्थ वेस्ट यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। 65 वर्षीय बर्नार्ड फेरिंगा नीदरलैंड की ग्रॉनिंगन यूनिवर्सिटी में ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं। मॉलिक्यूलर मशीन के विकास में पहला प्रयास सावेज ने 1983 में किया था। तब उनको रिंग शेप के दो अणुओं को चेन की तरह जोड़ने में कामयाबी मिली। इस दिशा में दूसरे कदम का श्रेय स्टोडार्ट के हिस्से में रहा। उन्होंने 1991 में महीन आणविक धुरी से अणुओं को जोड़ने में कामयाबी पाई। फेरिंगा ने 1999 में अनुसंधान में अहम योगदान देते हुए मोटर विकसित की।